लोक गायक गीतकार एवं कवि श्री हीरा सिंह राणा की आकस्मिक निधन से उत्तराखंड  को अपूरणीय क्षति हुई हैः-सुश्री बिना भट्ट

देहरादून। उत्तराखंड की पारंपरिक एवं पौराणिक लोक सांस्कृतिक विरासत को देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी विशिष्ट पहचान दिलाने वाले ख्याति लब्ध लोक गायक गीतकार एवं कवि श्री हीरा सिंह राणा के आकस्मिक निधन से उत्तराखंड  को अपूरणीय क्षति हुई है।निदेशक संस्कृत विभाग, उत्तराखंड सुश्री बिना भट्ट ने कहा कि स्व0 श्री हीरा सिंह राणा जी ने  जीवन भर उत्तराखंड की लोक संस्कृति को संजोए रखने तथा अपनी लोक संस्कृति विरासत को  लोगी  गीतों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का आजीवन प्रयास किया, ऐसी महान शख्सियत कि अचानक हमारे बीच से चले जाने से हमें गहरा आघात पहुंचा है। निदेशक संस्कृत विभाग सुश्री बिना भट्ट ने बताया कि वह हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत थे, संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित महत्वपूर्ण कार्यक्रमो में उनका मार्गदर्शन  सदैव प्राप्त होता रहा। उन्होंने बताया कि स्व0 श्री हीरा सिंह राणा जी उत्तराखंड संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद के सम्मानित सदस्य भी रहे, साथ ही लोक कलाकारों के कल्याण हेतु संचालित विभिन्न समितियों में भी उन्होंने अपने अमूल्य अनुभवों से योजनाएं तैयार कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सुश्री बीना भट्ट ने बताया कि राज्य स्थापना दिवस 2019 के अवसर पर संस्कृत विभाग उत्तराखंड द्वारा साहित्य सम्मेलन आयोजित किया गया था इस अवसर पर स्व0 श्री हीरा सिंह राणा जी को सम्मानित भी किया गया। इसके अलावा समय-समय पर अनेक महत्वपूर्ण मंच पर उन्हें सम्मानित किया गया । उन्होंने कहा कि कुमाऊनी लोकगीत को उन्होंने अपनी मधुर आवाज देकर विशिष्ट पहचान बनाई ।उनकी सुप्रसिद्ध रचना आज काल हरै जवान मेरी नौली पराण, जैसे अनेक गीतों ने उन्हें ख्याति प्रदान की। सुश्री बीना भट्ट ने दुख की इस घड़ी में स्व0 श्री राणा जी के परिवार को ईश्वर से सहन करने की शक्ति प्रदान करने एवं स्व0 श्री राणा जी की आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की। इस अवसर पर श्री बलराज नेगी,विनोद खण्डूरी, हेमंत बुडोला रंग मंडल संयोजक संस्कृति विभाग उत्तराखंड की सभी अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा स्व0 श्री हीरा सिंह राणा के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया गया।